मोक्षदा एकादशी व्रत कथा और एकादशी के महत्व - Mokshada Ekadashi 2024

मोक्षदा एकादशी व्रत कथा और एकादशी के महत्व - Mokshada Ekadashi 2024

Feb 28, 2024Soubhagya Barick

मोक्षदा एकादशी , मार्गशीर्ष मास के शुक्लपक्ष की एकादशी को कहा जाता है। यह एकादशी इस माह : बुधवार 11 दिसंबर 2024 को पड़ रहा है। यह व्रत भगवान विष्णु जी को समर्पित होता है। सभी एकादशी व्रत भगवान विष्णु को ही समर्पित होते हैं लेकिन उनके साथ ही साथ  माँ लक्ष्मी जी के भी पूजन का विधान है।।

मोक्षदा एकादशी के फायदे - 
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ,  मोक्षदा एकादशी का व्रत रखने से घर में सुख समृद्धि और शांति आती है। ऐसा मानते हैं कि इस व्रत को करने से पितरों को भी मोक्ष प्राप्त होता है। इस व्रत को करने से संतान प्राप्ति का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। मोक्षदा एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति के पाप नष्ट हो जाते हैं और उसके जीवन में खुशियां आ जाती हैं।

मोक्षदा एकादशी व्रत कथा और एकादशी का महत्व -

  पौराणिक कथा के अनुसार ,गोकुल नामक राज्य में वैखानस नामक एक राजा राज्य करता था। वह बहुत ही धार्मिक था। उसके राज्य की प्रजा बहुत सुखी थी। वह प्रजा जन का हितकारी राजा था। सभी वेदों के ज्ञानी उसके राज्य में निवास करते थे। 

  एक बार उस राजा ने एक स्वप्न देखा कि उसके पिताजी नर्क में बेहद कष्ट भोग रहे हैं और वे उससे नर्क से बाहर निकाल लेने की प्रार्थना कर रहे हैं। स्वप्न टूटने के बाद राजा बहुत विचलित हुआ। इसका क्या कारण है यह जानने और उसके निवारण हेतु उन्होंने सभी विद्वानों को बुलाया और इस स्वप्न के बारे में बताया। 

 जब कोई कुछ नहीं बता सका तो उन्होंने राजा को पर्वत मुनि के आश्रम में जाने का सुझाव दिया जो कि भूत, भविष्य व वर्तमान सभी कुछ देख सकते थे। राजा उनके आश्रम जाकर ,यथायोग्य अभिवादन के पश्चात अपनी चिंता का कारण बताया। पर्वत मुनि ने अपने ध्यान साधना से राजा के पिता के पाप कर्मों को जान लिया। उन्होंने राजा को सब कुछ बताकर उन्हें मोक्षदा एकादशी का व्रत करने को कहा जो कि समस्त मासों में उत्तम मार्गशीष माह में पड़ता है।

 राजा ने तब कुटुम्ब सहित मोक्षदा एकादशी का व्रत किया। उससे प्राप्त पुण्य को पिताजी को सौंप दिया जिससे उनको नर्क से मुक्ति मिल गयी। पिता ने प्रसन्न होकर राजा को ढेरों आशीर्वाद दिए।

मोक्षदा  एकादशी व्रत के कुछ नियम -

  •  ऐसा मानते हैं कि किसी भी एकादशी तिथि के दौरान चावल नहीं खाने चाहिए।
  • यह भी कहते हैं कि इस दिन तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए ।  
  • कहा जाता है कि इस दिन फल - फूल भी नहीं तोड़ने चाहिए इसलिए भगवान को चढ़ाने वाले फूल और पत्ते एक दिन  पहले ही तोड़ लेना चाहिए।
  • दूसरे व्यक्ति द्वारा दिया गया अन्न या भोजन भी ग्रहण नहीं करना चाहिए। मानते हैं कि ऐसा करने से मनुष्य  का पुण्य कम हो जाता है।
  • इस दिन क्रोध करने से बचना चाहिये । बहुत ही शांत तथा सात्विक तरीके से इस एकादशी व्रत को सम्पन्न करना चाहिए।

 इस प्रकार मोक्षदा एकादशी का अत्यंत महत्व माना जाता है।।

Mokshada Ekadashi kab hai / Mokshada Ekadashi 2023 date -  Wednesday 11th December 2024

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