पूजा में हल्दी और कुमकुम का महत्त्व

पूजा में हल्दी और कुमकुम का महत्त्व

Mar 12, 2024Soubhagya Barick

भारतीय पूजन पद्धति में पूजा की शुरुआत हल्दी व कुमकुम से की जाती है। ये उतना ही महत्वपूर्ण माना जाता है जितना कि किसी भी आयोजन या पूजन से पहले श्री गणेश और गौरी मां का पूजन। 

श्री गौरी मां को हल्दी चढ़ाया जाता है और गणपति को कुमकुम अर्पित करते हैं।

कुमकुम पवित्रता व निर्मलता का प्रतीक माना जाता है। ऐसा मानते हैं कि कुमकुम लगाने पर नकारात्मक ऊर्जा असर नहीं करती है इसलिए आज्ञा चक्र पर कुमकुम धारण किया जाता है। यह मंगल ग्रह का भी प्रतीक माना जाता है जो अत्यंत मंगलदायी और उर्जा से भरपूर होता है। महालक्ष्मी को कुमकुम अर्पित जाता है जो धन, समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है।

हमारे भारतीय रसोई में मुख्य रूप से हल्दी का उपयोग किया जाता है। यह विशिष्ट गुणों वाला होता है। हल्दी अच्छा स्वास्थ्य तो प्रदान करता ही है साथ ही सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर होता है। पूजा अर्चना में हल्दी चढ़ाना अत्यंत शुभ माना जाता है। इसे वृहस्पति ग्रह का भी द्योतक मानते हैं। 

हल्दी को भगवान विष्णु की कृपा भी मानते हैं। धार्मिक तौर पर इसे अपने आज्ञा चक्र पर लगाया जाता है आज्ञा चक्र सूर्य का स्थान माना जाता है और हल्दी को सूर्य का प्रतीक। अतः माथे पर हल्दी लगाने से नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव नष्ट हो जाता है और ज्ञान में वृद्धि होती है। यह गुरुतत्व को भी प्रदर्शित करता है। 

इस प्रकार हिंदू धर्म में कुंकुम और हल्दी का बहुत ही महत्त्व है।

 

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